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प्रधानमंत्री के नाम …………

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प्रधानमंत्री जी सादर प्रणाम ….
हमें आपको ये लिखते हुए काफी हर्ष हो रहा है की आज मैं आपको एक पत्र लिख रहा हूँ | लेकिन साथ ही साथ हमें दुःख भी है कि हम वो लिख रहे हैं जो आपको पहले कर लेना चाहिए था | प्रधान मंत्री जी मुझे पता है कि आप सुनते हो पर बोलते नहीं हो | ऐसा क्यों है प्रधानमंत्री जी ? देश ने आप पर भरोशा किया कि आप देश की जनता को इस गरीबी से निकाल कर एक नयी दिशा दिखायोगे | शायद वो हमारी भूल थी | मंत्री जी ये देश है कोई खिलौना या बैलगाड़ी नहीं जो भागवान के भरोसे चलता रहेगा | आपने देश को समझ क्या रखा है | आप लोगों की आँखों पर काली परत जम गयी है | जैसे किसी सांप की आँखों पर जम जाती है तो उसे दिखाई देना बंद हो जाता है | प्रधानमन्त्री जी के पास देश की बागडोर होती है | वो देश को चलाता है | लेकिन यहाँ एक प्रधान मंत्री असहाय और दयनीय स्थिति में नज़र आता है | कभी कभी लगता है कि आप किसी दवाव में इस पद को झेल रहे हो | ऐसे रोबोट बने रहने से कोई फायदा नहीं प्रधानमन्त्री जी आप कब समझोगे ? प्रधानमंत्री जी जीतता वो ही है जिसे हारने का डर नहीं होता है | लेकिन आपको किस बात के हारने का डर है | अगर आप अपनी कुर्सी के बारे में सोचते हो तो गलत सोचते हो | वो आपकी कभी न थी और न है और न कभी होगी | आप बस पुतले हो और रहोगे | आप किसी काम के नहीं हो | आपको मायावती से सीखना चाहिए | क्या था उनके पास लेकिन भाजपा की एक गलती ने उनकी जिन्दगी बदल दी | आज उ.प्र. में पूर्ण बहुमत से बिराजमान है | उन्होंने सिर्फ छह महीने में अपना राजनीतिक कैरियर बना लिया लेकिन आप तो कब से प्रधान मंत्री हो | अन्ना जी के टाइम शायद आप के मुझ पर टेप चिपका दी गयी हो या फिर किसी ने बोम्ब प्लांट किया हो | रामदेव के टाइम तो हद हो गयी | आपने पहले उनके लिए चार – चार मंत्रियों को भेजा फिर अचानक स्वामी जी जो आपके आदरनीय थे | ठग हो गए वो आतंकवादी हो गए | मंत्री जी वो चश्मा हमें भी देदो | जिसे लगाने के बाद सभी आतंक वादी हो जाते है जो एक पल पहले सही थे वो भ्रष्ट हो जाते हैं | और उसके उतरने के बाद फिर सही हो जाते हैं | उस दिन तो मंत्री जी मैं पूरी रात न्यूज देखता रहा जिस दिन राज्यसभा से लोकपाल बिल पास नहीं पाया था | उस दिन आपकी सूरत देखने लायक थी | मुझे लगा कि मेरे प्रधानमंत्री जी कुछ बोलेंगे | पर आपके बोल बचन सुनने के लिए कान तरस जाते है | मुझे लगा कि आप बहर आके कुछ बोलोगे लेकिन वो भी नहीं हुआ तो लगा कि मंत्री जी कुछ धमाका करेंगे और सब कुछ सही हो जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ | फिर आपने हाल ही कानपुर में रैली आयोजित कि तो लगा कि मंत्री जी वह तो जरुर कुछ बोलेंगे ही लेकिन अब देश की जनता जान चुकी है कि जब आप कुछ बोलते ही नहीं हो तो आपकी रैली में जाने से क्या फायदा | अब मेरे से और नहीं सब्र होता प्रधान मत्री जी कुछ तो बोलिए | नहीं तो कानपुर की रैली याद रखना २०१४ में |

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