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माँ-बाप को भुलना नहि-

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भुलो सभी को मगर माँ-बाप को भुलना नहीं,

उपकार अगणित है उनके इस बात को भुलना नह़ीं,

पत्थर पूजे कई, तुम्हारे जन्म के खातिर अरे

पत्थर बन माँ-बाप का दिल कभी कुचलना नहीं,

मुख का निवाला दे अरे जिनने तुम्हें बडा किया,

अम‌‌‍ृत पिलाया तुमको जहर उनके लिए उगलना नहीं,

कितने लडाए लाड सब अरमान भी पूरे किये,

पूरे करो अरमान उनके बात यह भूलना नहीं

लाखों कमाते हो भले, माँ-बाप से ज्यादा नहीं,

सेवा बिना सब राख है मद में कभी फूलना नहीं,

जैसी करनी वैसी भरनी न्याय यह भूलना नहीं,

सोकर स्वयं गीले में, सुलाया तुम्हें सूखी जगह,

मा़ँ कि अमीमय आँखों को,भूलकर कभी भिगोना नहीं,

जिसने बिछाये फूल थे हर दम तुम्हारी राहों में,

उस राहबर की राह के कंटक कभी बनना नहीं,

धन तो मिल जायेगा मगर माँ-बाप क्या मिल पएँगे?

पल-पल पावन उन चरण की चाह कभी भूलना नहीं,…………

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